नया साल
(राजूरंजन प्रसाद की कविताओं में पहाड़ के बाद यह बहुत पसंद है मुझे)
कहते कि नया साल आया
पहले से थोड़ा ज़्यादा मुस्काया
खिला चेहरा
गाल कुछ लाल हुआ
महसूस किया पहले से ज्यादा
बढ़ा ताप उसका
हंसने के क्रम में
लगा खिंचा-खिंचा
चेहरा अपना सुकुमार
तन गईं भवें, बढ़ गई
झुर्रियों की लंबाई व गहराई
हो चुका गहरा गड्ढों का निशान
बांध दी हो मानो किसी ने
आंखों पर गहरी काली पट्टी!
अरे वाह! बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजू जी
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